कली की खुशबू में , ऐसा नशा होता है।
उसी नशा में , बेखबर से भवरे सोता है।
कली की खुशबू में , ऐसा मिठास होता है।
उसी मिठास में , हर कोई खो जाता है।
जो कोई उसकी खुशबू की मिठास पता है
मुग्थ होकर उसकी ओर चला जाता है
जहाँ-जहाँ तक काली की खुशबू महकती है
वह तक उसकी चर्चा चलती है॥
वाह रे वाह ! गजब है कली
की खुशबू ।
हे गोरी जरा बजा दो न घुँघरू ॥
वाह रे वाह ! कितनी मीठी कली की खुशबू ।
मचल उठता है मन , मै कैसे रोकू॥
चलो ले एकबार उसका मज़ा।
याद रहे हमें, वह सदा-सदा॥
उसी नशा में , बेखबर से भवरे सोता है।
कली की खुशबू में , ऐसा मिठास होता है।
उसी मिठास में , हर कोई खो जाता है।
जो कोई उसकी खुशबू की मिठास पता है
मुग्थ होकर उसकी ओर चला जाता है
जहाँ-जहाँ तक काली की खुशबू महकती है
वह तक उसकी चर्चा चलती है॥
वाह रे वाह ! गजब है कली
की खुशबू ।
हे गोरी जरा बजा दो न घुँघरू ॥
वाह रे वाह ! कितनी मीठी कली की खुशबू ।
मचल उठता है मन , मै कैसे रोकू॥
चलो ले एकबार उसका मज़ा।
याद रहे हमें, वह सदा-सदा॥