चमकता सीतारों का,
गरजता बादलो का ,
गुलशन बहारो का ,
रंगीन नज़ारो का ,
अंदाज़ा करने वाली प्रतिभाशाली ,
हे, कविता की परी ।
तु याद आती है हर घडी ॥
हर बातों का अंदाज़ा करती है ।
और , उस में रस भरती है ॥
सुम धुर व अनुरागी रस ।
पिलाकर , उड़ाती है होश ॥
जब तु नज़र आती है ,
कविता ही झलकाती है ।
चारो तरफ सृजना की सागर लहराती है ॥