मेघों ने पानी बरसाया है ।
हवाओं ने मन तरसाया है ॥
लगता है सखी , सावन आया है ।
देखो तो , चमन में घटा छाया है ॥
आया है सखी , सावन आया है ।
चली न झुले झूला , उन बागों ने बाहों को फैलाया है ॥
प्रकृति ने सावन को , बाहों में झुलाया है ।
हाय रे ! कितना प्यारा नज़ारा दिखाया है ॥
मेघों के नयन , झम- झम बरस आया है ।
आधी रातो में , मन बहकाया है ॥
आया है , सच , सावन आया है ।
पवन ने तरु की डालियों को हिलाया है ॥
चलो न सखी , बुलबुल ने बुलाया है ।
सावन की आँगन में , धूम मचाया है ॥
बुलबुल गाकर , मोर नाचकर , धूम मचाया है ।
सोय इन्सानो को , उसने जगाया है ॥
हवाओं ने मन तरसाया है ॥
लगता है सखी , सावन आया है ।
देखो तो , चमन में घटा छाया है ॥
आया है सखी , सावन आया है ।
चली न झुले झूला , उन बागों ने बाहों को फैलाया है ॥
प्रकृति ने सावन को , बाहों में झुलाया है ।
हाय रे ! कितना प्यारा नज़ारा दिखाया है ॥
मेघों के नयन , झम- झम बरस आया है ।
आधी रातो में , मन बहकाया है ॥
आया है , सच , सावन आया है ।
पवन ने तरु की डालियों को हिलाया है ॥
चलो न सखी , बुलबुल ने बुलाया है ।
सावन की आँगन में , धूम मचाया है ॥
बुलबुल गाकर , मोर नाचकर , धूम मचाया है ।
सोय इन्सानो को , उसने जगाया है ॥
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