Wednesday 30 January 2019

मैंने पुछा तमना की गाँव

काली घटाओं से ।
चंचल हवाओं से ॥
मैंने पुछा तमना की गाँव  ।
उन्होंने दिखाया , मांझी की नाँव ॥


चलते रही से  ।
किसान भाई से ॥
उड़ते पंक्षियों से ।
खिलती कलियों से ॥
मैंने पुछा तमना की गाँव ।
उन्होंने भी बतलाया , मांझी की नाँव ॥



नाचती परी से ।
हँसती चाँदनी से ॥
चहकते बुलबुल से  ।
खरगोश चुलबुल से ॥
मैंने पुछा तमना की गाँव ।
उन्होंने कहा , लेकर जाओ , उस पार नाँव ॥


नदियों के किनारे ।
थे इकट्ठे सारे ॥
बड़ा ही प्यार से ।
बड़ा ही प्यार से
दौड़ते झंकार , दिल की तार से  ॥
मैंने पुछा तमना की गाँव ।
तो मुस्कुराते हुए सब बोले,
इस नदी पार है , लेकर जाओ नाँव ॥

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